शिक्षण क्षेत्र में विकास के लिए सतत शोध आवश्यक : वीसी

शिक्षण क्षेत्र में विकास के लिए सतत शोध आवश्यक : वीसी

शिक्षण क्षेत्र में विकास के लिए सतत शोध आवश्यक : वीसी

– झारखंड के विकास के लिए यहां की वन संपदाओं का संरक्षण जरूरी : एके राय

दुमका।

शिक्षण क्षेत्र में विकास के लिए सतत शोध कार्य आवश्यक है। शिक्षकों को भी ज्ञान पिपासु होना चाहिए।

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सेमिनार ज्ञानवर्धन के लिए बेहतर साधन है। ये बातें एसकेएमयू की कुलपति प्रो डॉ सोना झरिया मिंज ने कहीं। वह सोमवार को एएन कालेज, दुमका में आयोजित दो दिवसीय बहुविषयक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रही थीं।

वीसी ने अपने संबोधन के दौरान झारखंड और खासकर संथाल परगना में मौजूद प्राकृतिक संपदाओं और यहां की जुगाड़ तकनीक पर प्रकाश डाला।

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मुख्य अतिथि टीएमबीयू, भागलपुर व बीएनएमयू, मधेपुरा के पूर्व वीसी प्रो डॉ एके राय ने कहा कि संथाल परगना का यह क्षेत्र वन और खनिज संपदाओं से परिपूर्ण है, जिनका संरक्षण यहां के विकास के लिए बेहद जरूरी है।

उन्होंने सेमिनार की अध्यक्ष व कुलपति से विश्वविद्यालय से लेकर यहां के सभी महाविद्यालयों के गार्डन में झारखंड और खासकर संथाल परगना में पाये जाने वाले औषधीय पौधे लगवाने की अपील की। प्राचार्य डॉ संजय कुमार सिंह ने कहा कि आप सभी ने इस सेमिनार में पधार कर हमें अभिभूत किया है।

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आप सभी का आशीर्वाद हमारे लिए संबल का काम करेगा। स्वागत भाषण आयोजन सचिव डॉ अमर नाथ सिंह ने दिया और मंच संचालन डॉ चंद्रभानु प्रताप सिंह ने किय।

इससे पहले सेमिनार का उद्घाटन कुलपति और अतिथियों ने दीप जलाकर किया। सुकन्या चौधरी डांस ग्रुप ने नृत्य पेश कर अतिथियों का स्वागत किया। स्वागत भाषण सचिव डॉ अमर नाथ सिंह ने दिया। मंच संचालन डॉ चंद्रभानु प्रताप सिंह ने किया।

मंच पर एसकेएमयू के डीएसडब्ल्यू डॉ संजय कुमार सिंह, कुलसचिव डॉ संजय कुमार सिन्हा, डॉ प्रेम शंकर झा, सहयोगी संस्था टोकन रिसर्च सेंटर के निदेशक केतन कुमार मिश्रा मंच पर मौजूद थे।

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भोजनोपरांत दूसरे सत्र में प्रतिभागियों ने अपनी विषयवस्तु की प्रस्तुति दी। मंगलवार को सेमिनार का समापन होगा। इस सेमिनार में 250 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है।

 

https://samacharaajtak.com/2023/03/12/jharkhand-news_tribals-demand-inclusion-of-sarna-as-a-separate-religion-in-census/

 

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