सुरक्षित प्रसव के नाम पर निजी क्लीनिक करते हैं मोटी रकम की उगाही
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सुरक्षित प्रसव के नाम पर निजी क्लीनिक करते हैं मोटी रकम की उगाही
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संगठित गिरोह द्वारा दिया जाता है इस गोरख धंधे को अंजाम
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सरकारी अस्पताल कर्मी की होती है मिलीभगत
प्रेम शंकर मिश्रा
मेहरमा
मां बनने का सुखद एहसास दिल में लिए महिलाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मेहरमा में भर्ती तो होती हैं, परंतु वहां उनके अरमानों पर पानी फिर जाता है।
मौके का फायदा उठाकर वहां के कर्मचारी जिसमें अधिकारियों के मिली भगत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, मरीजों के परिजनों को जान का जोखिम बताकर किसी प्राइवेट नर्सिंग होम में जाने हेतु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रेरित करते हैं।
जिसके बदले में उन्हें मोटी रकम मिलती है। यह गोरख धंधा यहां वर्षों से फल फूल रहा है।
कई बार कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति तो कर ली जाती है परंतु फिर वही अंतहीन सिलसिला शुरू हो जाता है जिसकी चक्की में पिसते हैं उन्हें धरती का भगवान मानकर आने वाले लोग एवं उन पर अटूट श्रद्धा एवं विश्वास करने वाले परिजन।
इनमें से अधिकांश कम पढ़े-लिखे या बिल्कुल ही अनपढ़ होते हैं।
ताजा मामला है गोड्डा जिला अंतर्गत मेहरमा थाना क्षेत्र के ग्राम बाजितपुर निवासी छोटन मुसहर की पत्नी शबनम देवी का, जो प्रसव पीड़ा की वेदना में विगत 27 मार्च को मेहरमा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती हुई, परंतु भावना शून्य स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उनकी देखभाल सही तरीके से नहीं की गई।
और अंततोगत्वा जैसा कि अधिकांश केस में होता है ग्राम सुखाड़ी की सहिया द्वारा उसे किसी निजी नर्सिंग होम में जाने की सलाह देते हुए 29 मार्च को वहां से 1 किलोमीटर की दूरी पर इसीपुर बाराहाट, जिला भागलपुर (बिहार) स्थित वैष्णवी सेवा सदन में भर्ती करवा दिया गया।
ऑपरेशन के नाम पर उनसे तत्काल ₹60 हजार रुपए जमा करा लिए गए। बावजूद बच्चे को नहीं बचाया जा सका । सफाई दी गई कि बहुत पहले ही बच्चा पेट में मर चुका थाऔर शल्य क्रिया द्वारा उसे निकालकर जच्चा की जान बचाई गई।
कल सोमवार को छुट्टी के समय उनसे ₹40 हजार रुपए की और मांग की गई जिसके बाद 32 हजार रुपए लेकर उन्हें छोड़ा गया। प्रसूता की मां संध्या देवी ग्राम- मनसरपुर , कहलगांव,जिला -भागलपुर (बिहार) ने बताया कि वे लोग अनुसूचित जाति के गरीब लोग हैं परंतु सांसत में जान फंसने की वजह से कर्ज लेकर देना पड़ा।
इस बाबत पूछे जाने पर सेवा सदन की ओर से कोई सटीक जवाब नहीं दिया गया। जबकि मेहरमा के चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर विनय कुमार सिन्हा ने जांचोंपरांत कार्रवाई की बात कही।
वहीं सिविल सर्जन डॉ अनंत झा ने भी उचित कार्रवाई का भरोसा दिया। ज्ञात हो कि अभी एक सप्ताह पूर्व ही मेहरमा थाना क्षेत्र के ही ग्राम प्रतापपुर की सोनी कुमारी, पति लक्ष्मण दास( उम्र 19 वर्ष) जब मेहरमा अस्पताल गई, तो उसी गांव की सहिया मुन्नी देवी ने उसकी स्थिति क्रिटिकल बताकर उसे इसीपुर बाराहाट जिला भागलपुर (बिहार) के हैप्पी हेल्थ केयर में भर्ती कराया।
जहां क्लीनिक के संचालक डॉक्टर नीरज कुमार द्वारा उससे 50-60 हजार रुपए जैसी मोटी रकम की मांग की गई।
ज्ञात हो कि यह क्षेत्र बिहार एवं झारखंड की सीमा पर अवस्थित है जिससे कि मामला दो राज्यों का होने के कारण भी इस पर कार्रवाई नहीं हो पाती।
गोड्डा जिला अंतर्गत मेहरमा स्वास्थ्य केंद्र से उपरोक्त वर्णित दोनों प्राइवेट नर्सिंग होम की दूरी तो महज 1 किलोमीटर से भी काम है ,परंतु यह बिहार के भागलपुर जिला अंतर्गत आता है।
और इसी तकनीकी पेचीदगियों का फायदा उठाकर स्वास्थ्य माफिया गरीबों को लूटने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देते।