यहाँ बहरे से गूँगे बोलते हैं, तभी बातें वे खुल के बोलते हैं : साहिल

यहाँ बहरे से गूँगे बोलते हैं, तभी बातें वे खुल के बोलते हैं : साहिल

यहाँ बहरे से गूँगे बोलते हैं, तभी बातें वे खुल के बोलते हैं : साहिल

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 गोड्डा

प्रेमचन्द जयंती सप्ताह समारोह के तहत मंगलवार को स्थानीय हटिया चौक अवस्थित अतिप्राचीन केंद्रीय पुस्तकालय में विचार गोष्ठी सह कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। लोकमंच के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के कार्यकारी अध्यक्ष शिव कुमार भगत ने तथा संचालन सुरजीत झा ने किया।

गोष्ठी के तहत जहाँ अध्यक्ष सह मुख्य वक्ता श्री भगत के अलावा अंतरराष्ट्रीय मंचों को सुशोभित करनेवाले गजलगो सुशील ठाकुर “साहिल”, पत्रकार अभय पलिवार, वरीय अधिवक्ता रवि शंकर झा, रचनाधर्मी डॉ. मौसम ठाकुर,

यहाँ बहरे से गूँगे बोलते हैं, तभी बातें वे खुल के बोलते हैं : साहिल

गीतकार एवं कवि डॉ. ब्रह्मदेव कुमार, मंच सचिव सर्वजीत झा “अंतेवासी”, साहित्य सेवी पवन कुमार झा, मिथिलेश कुमार एवं मो. फिरोज ने प्रेमचन्द की कालजयी रचना और उनकी प्रासंगिकता पर बहुत विस्तार से प्रकाश डाला

 

वहीं डॉ. साहिल ने अपनी स्वरचित गजल की प्रस्तुति से खूब समा बाँधा। खासकर उनके द्वारा व्यवस्था पर चोट करती उनकी प्रस्तुति “यहां बहरे से गूँगे बोलते हैं, तभी बातें वे खुल के बोलते हैं” को भरपूर सराहना मिली।

श्री साहिल को संगीत एवं साहित्य जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए स्थानीय रेनबो म्यूजिकल ग्रुप द्वारा अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर लाइब्रेरियन विवेक कुमार, दिनेश प्रसाद मंडल, अखिल कुमार झा, आकाश कुमार झा, मो. अख्तर हुसैन, मनीष कुमार, शशि कुमार माँझी एवं रोहित यादव उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन लाइब्रेरियन विवेक कुमार ने किया।

 

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