हूल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष ने किया झंडोत्तोलन

हूल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष ने किया झंडोत्तोलन

हूल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष ने किया झंडोत्तोलन

 गोड्डा

आजादी के 76वां स्वतंत्रता दिवस व 75वें वार्षिक उत्सव ” आजादी के अमृत महोत्सव ” के उपलक्ष्य पर हूल शहीद चानकु महतो स्मारक स्थल रंगमटिया गोड्डा झारखंड में “हूल फाउंडेशन” के संस्थापक अध्यक्ष श्री संजीव कुमार महतो ने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) फहराया । ध्वजारोहण के मौके पर श्री संजीव ने कहा कि इस बार का 15 अगस्त वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होगा क्योंकि आज तक पूरे दुनिया में किसी भी देश में 150 करोड़ राष्ट्रीय झंडा किसी भी देश में नहीं फहराया गया है। राष्ट्र भक्ति प्रदर्शित करने का जो अवसर मोदी जी के नेतृत्व में देश को मिला है यह अभूतपूर्व व अनोखा है । 

उन्होंने कहा कि आज का यह शुभ दिन के लिए देश के आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वाले चानकु महतो समेत तमाम वीर शहीदों को हम सबके ओर से नमन है। क्योंकि उनके योगदान के वगैर यह दिन हम सबको नसीब नहीं होता ।

हूल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष ने किया झंडोत्तोलन

उन्होंने यह भी कहा कि आजादी का ये जश्न तब सफल होगा जब देश की सत्ता और कानून भारत के भूत वर्तमान और भविष्य की वास्तविक चिंता पर आधारित निर्णय के साथ चलें। अगर भविष्य के लिए वर्तमान और भूत को दरकिनार करते हैं तो देश भटकेगा और सही मंजिल से दूर होता जायेगा। किसी भी देश व स्थान का भूत उसका इतिहास होता है जो वास्तविक परिचय खड़ा करता है‌‌, वैसे ही वर्तमान देश के फिलहाल के स्थिति को ऐसा बनाने के लिए होता है कि वो यादगार बन सके , उसी तरह भविष्य के लिए लिये गये निर्णय ऐसे हों कि जो भविष्य को बेहतर करने के साथ वर्तमान को बेहतर करते हुए भूत काल के यादों को संरक्षित करने वाला हो।

हमारे देश के निर्णय कर्ताओं नीति-निर्माताओं को देश के इतिहास के प्रति और ज्यादा संवेदनशील व संजिदगीपूर्ण निर्णय लेने कि जरुरत है क्योंकि वर्तमान भारत ऐसा बनता जा रहा है जो सिर्फ हिंदू और मुसलमान के इतिहास पर आधारित प्रदर्शित हो रहा है जबकि सच्चाई यह है कि देश का इतिहास आदिवासियों के इतिहास पर आधारित दिखना चाहिए जो सच्चाई है। मुझे यह कहने में संकोच नहीं हो रहा है कि अतिथियों ने इस कदर माहौल बना रखा है कि मुल मकान मालिक गौण होता जा रहा है। जबकि हमारा संविधान चिख चिख कर कह रहा है कि भारत के रुढ़ी परंपरावादियों को यह संविधान उनके परंपरा के विरुद्ध कुछ भी करने को ना बाध्य करेगा और ना ऐसी परिस्थिति पैदा करेगा कि उनकी परंपरा पर आंच आये ऐसे नियम बनायेगा।

उपरोक्त चिंताओं के साथ यह आजादी का अमृत महोत्सव हम सब पूरे भारत वासियों के लिए गौरवपूर्ण स्वतंत्रता दिवस के रूप में यादगार है । हमें अपने , अपने परिवार व समाज के साथ देश के प्रति हमारी जवाबदेही तय कर जीवन जीने का संकल्प लेना चाहिए।

मौके पर संजीव कुमार महतो के साथ साथ धनंजय महतो रघुवंश महतो, आह्लाद महतो, सोनु कुमार , संदीप कुमार महतो, मिथुन कुमार महतो, किशोर कुमार महतो, गौतम महतो, बासुदेव महतो, रामविलास , बिनोद, कटी आदि सैकड़ों स्थानीय लोग महिला – पुरुष , लड़का – लड़की , बच्चे – बच्चियां उपस्थित थे।

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