देश के लिए मरते दम तक लड़े चानकु महतो, जयंती आज

देश के लिए मरते दम तक लड़े चानकु महतो, जयंती आज

देश के लिए मरते दम तक लड़े चानकु महतो, जयंती आज

गोड्डा

चानकु महतो के संघर्ष की गाथा सरकारी दस्तावेजों, इतिहासकार के रचनाओं और लोक कथाओं में मिलता है। बाड़ेडीह गांव में चानकु महतो का समुदाय और कुछ चिन्हित अन्य का एक भी आदमी गांव उजाड़े जाने के बाद अबतक वापस अपने गांव में लौटकर ना बसना और लगभग 8 किलोमीटर दूर सरैयाघाट नाम से किसी अन्य गांव बसना एक जीवंत प्रमाण है।   

 

“आपोन माटि आपोन दाना-पेट काटि निहिं देबअ खाजना”*

उक्त नारा के साथ 1855-56 में चानकु महतो ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फुंका था। 09 फरवरी 1816 को गोड्डा के रंगमटिया गांव में एक आदिवासी कृषक परिवार में जन्मे चानकु महतो का 168 वां शहादत दिवस 15 मई को मनाया जायेगा। शहीद चानकु महतो जो कुड़मि स्वशासन ब्यवस्था में रंगमटिया के प्रधान महतो व ईलाका के परगणेत थे।

इन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गोड्डा और आसपास इलाकों में 1853-54 के आसपास समय से ही स्थानीय लोगों को एकजुट कर अंग्रेजों के दमनकारी नीतियों का विरोध शुरू कर दिया था। जो 30 जून 1855 के बाद “हुल” नाम से जाना गया और इतिहास में दर्ज हुआ। इनके विद्रोह का केंद्र बाड़ेडीह था वे वहीं नाना के पास पले बढ़े हुए थे। अंग्रेजी सेना ने 1856 में बाड़े डीह महतो टोला को पुरी तरह उजाड़ दिया है लेकिन अवशेष आज भी विद्यमान है। चानकु महतो ने सहयोगियों संग 30 जून 1855 को अपने विद्रोही जत्था के साथ सिदो-कान्हू के नेतृत्व को स्विकारते हुए गोड्डा आसपास में “हूल विद्रोह” को नेतृत्व देकर विद्रोह को धारदार बनाया था। 

 

चानकु महतो का जन्म-जीवन परिचय

 

 

पिता कारु महतो व माता बड़की महताइन के दो पुत्रों व एक पुत्री में ये बड़े थे । चानकु महतो का जन्म 09 फरवरी 1816 को रंगमटिया गोड्डा में हुआ था। कहा जाता है कि चानकु महतो बचपन से ही विलक्षण शक्तिशाली के साथ विलक्षण प्रतिभावान थे।इनके एक मात्र पुत्र टोकु महतो थे। वर्तमान में इनके सैकड़ों वंशज रंगमटिया गोड्डा में निवासरत हैं जबकि दर्जनों वंसज अलग अलग जगह निवास करते हैं।

 

1855-56 में ब्रिटिश शासकों की नींद उड़ा दी थी चानकु महतो ने

यूं तो हूल विद्रोह का समय 30 जून 1855 ही जाना जाता है लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि बारकोप गोड्डा और इसके आसपास 1852-53 से ही ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग नेतृत्वकर्ताओं के नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गोलबंदी शुरू हो गई थी। जिसका नेतृत्व चानकु महतो , बैजल सोरेन, राजवीर सिंह, भागीरथ मांझी आदि कर रहे थे।

कारण यह था कि ब्रिटिश अपना शासन बीरभूम और भागलपुर से चलाते थे और गोड्डा भागलपुर का सीमावर्ती क्षेत्र में पड़ने के कारण गोड्डा आसपास का इलाका ब्रिटिश दमनकारी नीति का सबसे पहले प्रभावित होता था। इसलिए स्वाभाविक था कि दमन का शिकार पहले होने के कारण विद्रोह की भावना भी इस इलाके में पहले से भड़क रही थी।

चानकु महतो ने खुद को हुल आंदोलन से जोड़ा और मरते दम तक लड़ा

अलग अलग क्षेत्रों में ब्रिटीश शासन के विरुद्ध अलग-अलग समुह, समुदाय और नेता विरोध दर्ज कर रहे थे। विद्रोह की ज्वाला पूरे संथाल परगना क्षेत्र में धधक रही थी।

परिणामस्वरूप तमाम विद्रोहियों की बैठक 30जून 1855 को सिदो-कान्हू के नेतृत्व में एकत्रित होकर हुल आंदोलन का आगाज किया। ब्रिटिश शासन के साथ मारो या मरो के संकल्प के साथ युद्ध की घोषणा कर दिया। हजारों हथियार बंद आदिवासी मुलवासी अंग्रेजी शासन और उसके समर्थकों पर चढ़ाई करने लगे।

इसी क्रम में चानकु महतो ने भी सशस्त्र विद्रोह को लेकर लगातार युद्ध छेड़ दिया। उसी क्रम में सोनारचक के नजदीक विद्रोहियों की एक बैठक चानकु महतो , राजवीर सिंह आदि कर रहे थे । भेदीये द्वारा सभा की खबर अंग्रेजी शासन के नायब प्रताप नारायण को दे दी ।

नायब ने सेना की एक टुकड़ी लेकर हमला कर दिया। इस युद्ध में राजवीर सिंह समेत कई शहीद हो गये और दर्जनों घायल हो गए चानकु महतो भी घायल अवस्था में साथियों संग खुद को बचाने में सफल रहे लेकिन इस युद्ध में विद्रोहियों ने नायब को मौत के घाट उतार दिया। 

चानकु महतो को गिरफ्तार कर फांसी दे दी गई 

 

चानकु महतो और इनके साथियों के हथियार बंद विद्रोह से घबराये और नायब प्रताप नारायण की हत्या से आक्रोशित अंग्रेजी सरकार ने सैनिक शासन की घोषणा कर चानकु महतो को गिरफ्तार किया। अंग्रेजी हुकूमत हरहाल में चानकु महतो व सभी प्रमुख आंदोलनकारी को गिरफ्तार करना चाह रही थी ।

सेना द्वारा बाड़ेडीह गांव को तहस नहस कर दिया गया और चानकु महतो को घायल अवस्था में उनके मामा घर बाड़ेडीह गांव से गिरफ्तार कर लिया गया और कुछ दिनों बाद 15 मई 1856 को गोड्डा कझिया नदी के किनारे पेड़ में फांसी पर लटका दिया गया।

admin

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *