विपक्षी गठबंधन से प्रत्याशी की घोषणा नहीं होने से कार्यकर्ताओं में असमंजस
विपक्षी गठबंधन से प्रत्याशी की घोषणा नहीं होने से कार्यकर्ताओं में असमंजस
वर्ष 2009 से लगातार गोड्डा में खिल रहा है कमल
प्रेम शंकर मिश्रा
मेहरमा
गोड्डा लोकसभा से भाजपा को छोड़ अब तक अन्य किसी दल द्वारा अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की गई है। भाजपा से चौथी बार डाक्टर निशिकांत दुबे को प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा के साथ ही भाजपा की ओर से चुनावी कवायद तेज कर दी गई है।
इसी कड़ी में संथाल परगना के तीनों लोकसभा दुमका,राजमहल और गोड्डा के लोकसभा प्रभारी गणेश मिश्रा और गोड्डा लोकसभा संयोजक सह महागामा के पूर्व विधायक अशोक कुमार भगत की ओर से लगातार गोड्डा लोकसभा के विभिन्न प्रखंडों का दौरा कर कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने के टिप्स दिए जा रहे हैं।
वहीं विपक्षी गठबंधन द्वारा अब तक प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं होने से कार्यकर्ताओं के बीच बेचैनी है।
और वो असमंजस की स्थिति में हैं। विपक्षी गठबंधन का संयुक्त प्रत्याशी कांग्रेस से होगा या झामुमो से इसे लेकर भी सस्पेंस बरकरार है।
जिससे पार्टी कार्यकर्ताओ के साथ समर्थकों में भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है।संथाल परगना की तीन लोकसभा सीट गोड्डा, दुमका और राजमहल में गोड्डा ही अनारक्षित है। 1962 में बने इस लोकसभा में मधुपुर, देवघर, जरमुंडी गोड्डा,पोडैयाहाट और महागामा विधानसभा है।
गोड्डा लोकसभा सीट पर 14 बार के लोकसभा चुनाव में सात बार भाजपा, पांच बार कांग्रेस और दो बार अन्य का कब्जा रहा। 2009 से भाजपा प्रत्याशी डाक्टर निशिकांत दुबे लगातार जीत दर्ज कर हैट्रिक लगा चुके हैं।
कांग्रेस का भी इस सीट पर अच्छा खासा दबदबा रहा है। परंतु कांग्रेस अपनी पकड़ बरकरार नहीं रख पाई। और ना ही झामुमो ही अपनी मजबूत पकड़ बना सकी।
1962 से वर्ष 2019 तक कांग्रेस और भाजपा को छोड़ केवल दो बार ही किसी अन्य पार्टी ने यहां जीत हासिल की है। वर्ष 2009 में पहली बार निशिकांत दुबे सांसद बने।
2014 और 2019 में मोदी लहर का असर रहा। 2019 में 53.4 फीसद मत लाकर निशिकांत दुबे ने हैट्रिक लगाई।
वहीं विपक्षी दलों के संयुक्त गठबंधन में जेवीएम से प्रदीप यादव को उम्मीदवार बनाया गया था जिन्हें 38.8 फीसद मत ही मिल पाया था। अब देखना दिलचस्प होगा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में किसके सिर गोड्डा लोकसभा का ताज होता है।
गोड्डा लोकसभा सीट पर कब किस पार्टी का रहा है दबदबा-
1962-प्रभु दयाल हिम्मत सिंहका -कांग्रेस। 1967- प्रभु दयाल हिम्मत सिंहका-कांग्रेस। 1977- जगदंबी प्रसाद यादव- जनता पार्टी। 1984- मौलाना समीनुद्दीन-कांग्रेस। 1988- मौलाना समिनुद्दीन-कांग्रेस। 1989- जनार्दन यादव-भाजपा।
1991- सूरज मंडल- झामुमो।
1996-जगदंबी प्रसाद यादव-भाजपा।
1998- जगदंबी प्रसाद यादव- भाजपा।
1999- जगदंबी प्रसाद यादव-भाजपा।
2004- फुरकान अंसारी-कांग्रेस। 2009-निशिकांत दुबे-भाजपा।
2014- निशिकांत दुबे-भाजपा।
2019-निशिकांत दुबे-भाजपा।
ज्ञात हो कि जगदंबी प्रसाद यादव के निधन के बाद खाली हुए सीट पर कराए गए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार प्रदीप यादव विजयी हुए थे।