वाषिक पूजनोत्सव पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब

वाषिक पूजनोत्सव पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब

वाषिक पूजनोत्सव पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब

महेशपुर काली मंदिर में वाषिक पूजनोत्सव पर कार्यक्रमों की धूम

A huge crowd of devotees gathered on the annual worship festival

गोड्डा

बसंतराय प्रखंड के महेशपुर गांव स्थित चर्चित काली मंदिर में मंगलवार को वार्षिक पूजन उत्सव की धूम मची रही। पूजन व दर्शन को लेकर आस्था का जनसैलाब उमड़ पडने लगा।

पिछले पांच दिनों से काली मंदिर के नवनिर्मित भवन में आध्यात्मिक कार्यक्रमों की धूम मची रही। इसके पूर्व सोमवार को पांच पंडितों की टोली द्वारा दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन किया गया।

जबकि मंगलवार को पूजन कार्यक्रम का शुभारंभ भी11 पंडितों के द्वारा दुर्गासप्तशति पाठ से किया गया। पूजन के दौरान अनवरत दुर्गा सप्तशती पाठ व वैदिक मंत्रोच्चार से आसपास का वातावरण आध्यात्मिक हो गया।

पूजन को लेकर संपूर्ण ग्राम वासियों के बीच उत्साह का माहौल व्याप्त था । मां के जयकारों से सारा मंदिर परिसर गुंजायमान हो रहा था।

संपूर्ण वैदिक कार्यक्रम पंडित अर्जुन झा की अगुवाई में किया जा रहा है। कर रहे थे जबकि पुजारी के रूप में झुन्ना झा शामिल थे।

पंडित अजुन झा ने बताया कि दुर्गा सप्तशती पाठ के उपरांत माता का विधिवत श्रृंगार एवं पूजन किया गया। तत्पश्चात काली मंदिर से कुछ दूर शैलेश मंडप में ध्वजारोहण एवं विधि विधान से पूजन किया गया ।

प्राचीन परंपरा के तहत शैलेश बाबा के पूजन के उपरांत ही काली मंदिर में मनोकामना से संबंधित संकल्प शुरू होते हैं। इसमें संकल्प के साथ दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने मनोकामना पूर्ति के उपरांत यथोचित चढ़ावा चढ़ाया ।

संकल्प व पूजन के व आरति के उपरांत मंदिर परिसर में ब्राह्मण- कुमारी भोजन किया गया। इसके उपरांत संपूर्ण ग्रामीणों सहित आगंतुृकों ने एक साथ बैठकर महाप्रसाद ग्रहण किया ।

ब्राह्मण कुमारी पूजन के उपरांत अर्द्ध रात्रि से विशेष हवन व पूजन तांत्रिक विधि एवं माता को भोग लगाया गया। बुधवार की सुबह संपूर्ण ग्रामीणों के बीच महा प्रसाद वितरित किया गया ।

माता के मंदिर के जीर्णोद्धार के उपरांत पहली वार्षि पूजा मनाया गया। ग्रामीणों ने बताया कि इस मंदिर में 500 सालों से पूजन किया जा रहा है। यहां पूरी तरह तांत्रिक विधि से पूजन किया जाता है यह मंदिर तांत्रिक सेखडवार द्वारा स्थापित किया गया है ।

कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त ग्रामीणों की भूमिका सराहनीय रही।

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