विस्थापितों के प्रति संवेदनशील व्यवहार का दिखने लगा है असर

विस्थापितों के प्रति संवेदनशील व्यवहार का दिखने लगा है असर
  • विस्थापितों के प्रति संवेदनशील व्यवहार का दिखने लगा है असर

  • जनसुनवाई एवं शिकायत निवारण शिविर में हो रहा समस्याओं का समाधान

The effect of sensitive behavior towards displaced people is becoming visible

गोड्डा

 

ईसीएल की इकाई राजमहल परियोजना के विस्थापितों की पीड़ा और दर्द को दूर करने की कार्य शैली का असर दिखने लगा है। आलम यह है कि क्षेत्र के बुद्धिजीवी भी अब इसकी प्रशंसा करने लगे हैं।

 दरअसल राजमहल परियोजना के क्षेत्रीय महाप्रबंधक अरूपा नंद नायक की भरपूर कोशिश है कि एक और जहां विस्थापितों की समस्याओं का त्वरित निष्पादन हो वहीं दूसरी ओर विस्थापितों से सीधा संपर्क स्थापित किया जाए ताकि परियोजना के कार्य में तेजी आ सके।

संवेदनशील प्रशासन उपलब्ध कराना महाप्रबंधक के स्वभाव में शामिल है।

 

बताते चलें कि महाप्रबंधक श्री नायक की अगुवाई में जनसुनवाई एवं शिकायत निवारण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जहां प्रत्येक माह के 15 तारीख को बसडीहा एवं 20 तारीख को तालझारी में ग्रामीणों के लिए क्षेत्रीय सभागार में समस्याओं का समाधान कराया जा रहा है

ताकि जमीन हस्तांतरण एवं रोजगार व पुन स्थापना भुगतान संबंधी कार्यों में सुगमता एवं तेजी लाई जा सके।

 परियोजना क्षेत्र के तालझारी मौजा के संदीप मुर्मू, नलालेंद्र टुडू, रामेश्वर माल, वासुदेव माल आदि लोगों को जमीन का मुआवजा, नौकरी सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर प्रबंधन प्रयत्नशील है।

वहीं दूसरी ओर बसडीहा के रैयतो की मांगों यथा घर का मुआवजा एवं प्लॉट एवं सार्वजनिक स्थलों को चिन्हित कर काम चालू करने का निर्देश दिया गया है।

जिसका परिणाम यह हुआ की बसडीहा के लखन मुर्मू,सत्य नारायण ठाकुर, रफीक अंसारी को मकान का मुआवजा उपलब्ध कराया गया।

 इसके अतिरिक्त फूल कुमारी को डकैता रिहेब साइड में, शराफत अंसारी को हिजूकिता के फिजिक प्लॉट में एवं डोमन लोहार को डकैता में प्लॉट उपलब्ध कराया गया।

 इतना ही हिजुकिता के रिहेब साइड में सार्वजनिक कार्य हेतु जगह को चिन्हित कर परिसर में कब्रिस्तान एवं एवं अन्य कार्यों को चालू किया गया है।

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